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शहीद को श्रद्धांजली देने पहंचे पड़पौत्र अज़ीज़उल्लाह ख़ान

अपने परदादा शहाद सआदत ख़ान को श्रद्धांजली पेश करते हुए अज़ीज़उल्लाह ख़ान

फूल बरसाओ शहीदान-ए-वतन की ख़ाक पर

मौत ख़ुद हैराँ थी जिन की जुरअत-ए-बे-बाक पर

1 अक्टूबर 1874 को मध्यभारत का वो महान क्रांतिकारी जिसने भारत को अंग्रेज़ों के ज़ुल्मों, अत्याचारों से छुटकारा दिलाने की क़सम खाई थी उन ही अंग्रजों की नापाक चालों, ज़ुल्मों का शिकार हो गया और इंदौर स्थित रेसीजेंसी के उसी बरगद के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया गया जहां से 1 जुलाई 1857 को उसने अपने ख़ास सहयोगियों की मदद से अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह छेड़ा था। मालवा का जांबाज़ पठान, होलकर सैना का रिलासदार, क्रांतिकारियों का लीडर शहीद सआदत खान। आज फिर 1 अक्टूबर है हर साल की तरह शहीद सआदत ख़ान के पड़पोत्र व्योवृद्ध अज़ीज़उल्लाह ख़ान सुबह से शहीद की मज़ार पर जाने और वहां फातिहा पढ़ने के लिए अपने बच्चों का इंतज़ार कर रहे थे। देश की आज़ादी के पहले से आज तक हर साल शहीद की मज़ार पर आकर अपने बुज़ूर्ग परदादा सआदत ख़ान को खिराज ए अकिदत पेश करने वाले अज़ीज़उल्लाह ख़ान साहाब के साथ ऐसा मौक़ा कम ही आया होगा की ये तारीख आई हो और वो मज़ार पर न आये हों। जब नौजवान थे तो किसी की सहारे की ज़रूरत नहीं पड़ी पर अब उम्र ने बच्चों को सहारा बनाया है इसलिए अपने बच्चों और पोता-पोतियों के साथ आकर और ज़्यादा फक्र महसूस करते हैं। आज लगातार हो रही बारिश के कारण मैंने अपने पिता से कहा बस थोड़ा इंतज़ार करते हैं बारिश रुकते ही हम ज़रूर चलंगे, लेकिन उनका जवाब सुनकर में खुद को रोक नहीं सका जब उनहोने सिर्फ इतना कहा की, ‘’अगर सआदत ख़ान और उनके साथियों ने बारिश की इतनी फिक्र की होती तो आज हम आज़ाद फिज़ा में सांस नहीं ले रहे होते।‘’ बात सिधे दिल पर लगी और मैंने अपनी स्कूटर उनके सामने खड़ी कर दी। रिमझिम बारिश में मेरे कंधो का सहारा लिए गाड़ी पर बैठे और सिधे हम शहीद के मज़ार पर जा पहुंचे , खिराजे अक़ीदत पेश की, वहां से काली कोठी रेसीडेंसी पहुंचे जहां शहीद सआदत ख़ान के क्रांति स्थल पर कुछ संस्था के लोग भी मिले और वहां पहुंच कर पता चला की यहां प्रदेश के उच्च शिक्षा एँव खेल मंत्री आने वाले हैं, पुलिस व्यवस्था थी, मंत्री के आने की ख़बर परिवार तक को नहीं थी, लेकिन सुबह 11 बजे आने वाले मंत्री जी और उनके बुलाने वालों तक का शाम 3:30 बजे तक कौई अता-पता नहीं था।

शायद बारिश ज़्यादा थी इसलिए नहीं आये होंगे। कल 2 अक्टूबर है गांधी जयंती है, मीडीया भी होगा मंत्री जी भी और शायद बारिश भी। उम्मीद है मंत्री जी वक्त पर आ जाएं।

ख़िलजी ख़ालीद ख़ान

(वंशज शहीद सआदत ख़ान)

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